जय ग्वाल जय गोपाल
जय गोपाला श्रीकृष्ण हमारी संस्कृति के एक अद्भुत एवं विलक्षण महानायक हैं । ईश्वर होते हुये भी वे सबसे ज्यादा मानवीय लगते हैं । सच्चे अर्थों में लोकनायक के रूप में वे हर विपरीत घड़ी में हमारे सामने आदर्श के रूप में उपस्थित होते हैं । इसीलिए श्रीकृष्ण को मानवीय भावनाओं, इच्छाओं और कलाओं का प्रतीक माना जाता है। एक हाथ में बाँसुरी और दूसरे हाथ में सुदर्शन चक्र से विभूषित श्री कृष्ण का पूरा जीवन पुरुषार्थ की प्रेरणा कि श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व में भारत को एक प्रतिभासम्पन्न राजनीतिवेत्ता ही नहीं, एक महान कर्मयोगी और दार्शनिक प्राप्त हुआ, जिसका गीता-ज्ञान समस्त मानव-जाति एवं सभी देश-काल के लिए पथ-प्रदर्शक है। आज देश के युवाओं को श्रीकृष्ण के विराट चरित्र के बृहद अध्ययन की जरूरत है। श्री यादव ने कहा कि श्रीकृष्ण ने कभी कोई निषेध नहीं किया। उन्होंने पूरे जीवन को समग्रता के साथ स्वीकारा है। संसार के बीच रहते हुये भी उससे तटस्थ रहकर वे पूर्ण पुरुष कहलाए। यही कारण है कि उनकी स्तुति लगभग सारी दुनिया में किसी न किसी रूप में की जाती है। साभार प्रस्तुति रवि ग्वाल