जय ग्वाल जय गोपाल

भगवान श्री श्रीकृष्ण के हाथ में सदैव सोभायमान रहने वाली तथा मथुरावासियों के दिल को जितने वाली बासुरी.....🌸

द्वापरयुग के समय जब *भगवान श्री कृष्ण* ने धरती में जन्म लिया तब देवी-देवता वेश बदलकर समय-समय में उनसे मिलने धरती पर आने लगे. इस दौड़ में  भगवान शिवजी कहा पीछे रहने वाले थे अपने प्रिय भगवान से मिलने के लिए वह भी धरती में आने के लिए उत्सुक हुए.

परन्तु वह यह सोच कर कुछ क्षण के लिए रुके की यदि वे *श्री कृष्ण* से मिलने जा रहे तो उन्हें कुछ गिफ्ट भी अपने साथ ले जाना चाहिए . अब वे यह सोच कर परेशान होने लगे की ऐसा कौन सा गिफ्ट ले जाना चाहिए जो *भगवान श्री कृष्ण* को प्रिय भी लगे और वह हमेसा उनके साथ रहे
तभी महादेव शिव को याद आया की उनके पास एक ऋषि दधीचि की महाशक्तिशाली हड्डी पड़ी है. ऋषि दधीचि वही महान ऋषि है जिन्होंने धर्म के लिए अपने शरीर को त्याग दिया था व अपनी शक्तिशाली शरीर की सभी हड्डिया दान कर दी थी. उन हड्डियों की सहायता से विश्कर्मा ने तीन धनुष पिनाक, गाण्डीव, शारंग तथा इंद्र के लिए व्रज का निर्माण किया था *महादेव शिवजी​* ने उस हड्डी को घिसकर एक सुन्दर एवम मनोहर बासुरी का निर्माण किया. जब शिवजी *भगवान श्री कृष्ण* से मिलने गोकुल पहुचे तो उन्होंने श्री कृष्ण को भेट स्वरूप वह बंसी प्रदान की तथा उन्हें आशीर्वाद दिया तभी से *भगवान श्री कृष्ण* उस बंसी को अपने पास रखते है .


जय श्री कृष्ण...
जय ग्वाल जय गोपाल 

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