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अक्टूबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अखिल भारतीय ग्वाल महासभा

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जय ग्वाल जय गोपाल परम पूज्य ग्वाल  समाज एक आदर्शवादी समाज ग्वाल वंश संसार का सबसे पवित्र वंश स्वंय  विष्णु बाल रूप में कृष्ण बनकर लीलाएं करने आए ग्वाल समाज को उन्नति और नव पथ पर प्रदर्शित करने के लिए एवं ग्वाल समाज की अखंडता और एकता के लिए ग्वाल समाज  प्रयास कर रही है इसी क्रम में अखिल भारतीय ग्वाल  महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की स्थापना की गई राष्ट्रीय कार्यकारिणी झांसी उत्तर प्रदेश, शिवपुरी मध्य प्रदेश, गुना मध्य प्रदेश, सागर मध्य प्रदेश, एवं होशंगाबाद मध्य प्रदेश, में गठित होकर समाज को नई दिशा दे रही है अखिल भारतीय ग्वाल  महासभा के तत्वाधान में शिवपुरी मध्य प्रदेश विगत वर्ष सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें 37 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे आगामी समय अखिल भारतीय ग्वाल महासभा 14 फरवरी 2018 बसंत पंचमी को झांसी उत्तर प्रदेश में सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन कर रही है जो समाज में खर्चीली शादियों की रोकथाम के लिए बहुत सहायक हैं अखिल भारतीय ग्वाल  महासभा गुना इकाई  प्रतिभा सम्मान समारोह द्वारा ग्वाल समाज के बच्चों का उत्साह वर्धन करती है झा...

ग्वाल समाज समाचार

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ग्वाल समाज समाचार @ काॅम  श्री कृष्ण चंद्रवंशी ग्वाल समाज नव निर्माण समाज के पथ पर अग्रसर है.. 1_  https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=726965110822608&id=624952957690491 2_https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=721908577994928&id=624952957690491 3_https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=721907617995024&id=624952957690491 4_https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=716171221901997&id=624952957690491 5_https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=715281975324255&id=624952957690491 6_https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=715080008677785&id=624952957690491 ))))ग्वाल सेवा निस्वार्थ सेवा(((( ||जय ग्वाल जय गोपाल ||

ग्वालवंश

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!!ग्वालवंश!!  (संसार का सबसे पवित्र वंश है जिसमे स्वयं भगवान विष्णु बाल रूप में कृष्णा बनकर अवतरित हुऐ  ) व्रज रज उड़ती देख कर मत कोई करजो ओट, व्रज रज उड़े मस्तक लगे गिरे पाप की पोत" जिन देवताओ को खबर पड़ गयी थी की भगवान विष्णु वाल रूप में कृष्णा बन कर भगवान लीलाधर पुर्षोतम पधारने वाले है ग्वालवंश मे लीलाये करने तो वो सब  व्रज में कोई ग्वाला बन कर जन्म ले लिया, कोई गोपी , कोई गईया , कोई मोर , कोई तोता, इत्यादि सभी पशु पक्षी बन व्रज में भगवान के आने से पहले ही व्रज मंडल को सुन्दर बना दिया। कुछ देवता पीछे रह गए वो ब्रह्माजी के पास आये और वो देवता ब्रह्माजी से झगड़ा करने लगे की "ब्रह्माजी ! आप ने हमको व्रज मे क्यों नही भेजा? जब भगवान बाल कृष्ण लाल बन कर ठाकुर नारायण जहा इतनी सुन्दर-सुन्दर लीलाये करने के लिए पधारे है, आप ने हमको व्रज मे क्यों नही भेजा आप हम को भी व्रज में भेजिए"। ब्रह्मा जी बोले :- "देखो भाई ! व्रज में जितने लोगो को भेजना था उतनों को भेज दिया अब व्रज में जगह खाली नही है।" देवता बोले :- "महाराज ! 'आप हमे ग्वाला ही बना दो।...

भगवान के मन मे बसते है ग्वाल सखा ओर भक्त

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)) भक्त का प्रेम (( . एक बार नारद जी श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचे। . वह बड़ी आतुरता से उनके कक्ष में प्रवेश करने लगे कि तभी द्वारपालों ने रास्ता रोक दिया। . नारद जी ने कारण पूछा तो उत्तर मिला, 'प्रभु अभी आराधना में व्यस्त हैं ।' . नारद ने कहा, 'रास्ता छोड़ो, मैं तुम्हारे इस बहकावे में नहीं आने वाला।' पर यह सुनकर भी संतरी डटे रहे। मन मसोस कर उन्हें प्रतीक्षा करनी पड़ी। . कुछ देर बाद स्वयं श्रीकृष्ण ने कपाट खोले। नारद जी ने प्रणाम करके तुरंत शिकायत की, . 'देखिए न, आपके द्वारपालों ने एक बेतुका बहाना बनाकर मुझे भीतर जाने से रोक दिया। ये कह रहे थे कि आप पूजा कर रहे हैं ।' . श्रीकृष्ण बोले, 'यह सत्यवचन है नारद। हम आराधना में ही मग्न थे।' . नारद ने कहा,'भगवन् आप और आराधना ?' . श्रीकृष्ण बोले, 'देखना चाहोगे, हम किसकी आराधना में लीन थे ? आओ भीतर आओ।' . भीतर एक पुष्पमंडित पालने पर अनेक छोटी- छोटी प्रतिमाएं झूल रही थीं। . नारद जी ने एकाग्र दृष्टि से देखा। कुछ प्रतिमाएं गोकुल की !!गोप- मंडली ग्वाल वालो!! की थीं, तो कुछ...

!!ग्वाल समाज!!

"राधे राधे"

(((( "चित्रा सखी" )))) . राधाजी की अष्ट सखिओं में एक सखी हैं, चित्रा सखी . बरसाने की बड़ी परिकर्मा मार्ग में चिक्सोली गाँव में इनका मंदिर है | . चित्रा सखी बचपन से योगिनी वेदान्त की ज्ञाता थी और साथ ही एक बहुत अच्छी चित्रकार थीं किसी को भी एक बार देखकर उसका चित्र बना लेना उनके लिए बहुत ही सरल बात थी . इसी बात की उनकी ख्याति भी थी दूर दूर के गाँव तक थी | . एक बार राधाजी के भाई श्री दामा ने अपने मित्र कन्हैया से उनका चित्र माँगा | . कन्हैया ने कह दिया कल दे दूंगा और अपने घर आकर मैया से कहने लगे की माँ मेरा चित्र बनवा दो | . माँ ने कह दिया की बनवा देंगे और अपने काम में लग गयी थोड़ी देर में फिर आकर बोले मैया बनवा दो ना माँ ने झुंझला के कहा क्यों जिद कर रहा है बनवा देंगे अभी कहाँ से बनवा दूँ | . इतने में नन्द बावा आ गए वो बावा के पीछे लग गए कहने लगा बावा मुझे अपना चित्र बनवाना है | . बावा ने कहा- अच्छा ! चल बनवाते हैं, बाहर आकर अपने किसी सहयोगी से कहा कि जाकर किसी चित्र बनाने वाले को लेकर आयो | . सहयोगी ने कहा -कि अच्छा लाता हूँ | वो ढूंढते ढूंढते चित्रा सखी क...

श्री गोपाष्टमी

श्री गोपाष्टमी विशेष 🌼भगवान अब ‘पौगंण्ड-अवस्था’ में अर्थात छठे वर्ष में प्रवेश किया. एक दिन भगवान मैया से बोले – ‘मैया! अब हम बड़े हो गये है.  मैया ने कहा- अच्छा लाला! तुम बड़े हो गये तो बताओ क्या करे? भगवान ने कहा - मैया अब हम बछड़े नहीं चरायेगे, अब हम गाये चरायेगे. मैया ने कहा - ठीक है! बाबा से पूँछ लेना. झट से भगवान बाबा से पूंछने गये. बाबा ने कहा – लाला!, तुम अभी बहुत छोटे हो, अभी बछड़े ही चराओ . 🌼भगवान बोले - बाबा मै तो गाये ही चराऊँगा.जब लाला नहीं माने तो बाबा ने कहा - ठीक है लाला!, जाओ पंडित जी को बुला लाओ, वे गौ-चारण का मुहूर्त देखकर बता देगे. भगवान झट से पंडितजी के पास गए बोले-पंडितजी! बाबा ने बुलाया है गौचारण का मुहूर्त देखना है आप आज ही का मुहूर्त निकल दीजियेगा, यदि आप ऐसा करोगे तो मै आप को बहुत सारा माखन दूँगा .पंडितजी घर आ गए पंचाग खोलकर बार-बार अंगुलियों पर गिनते. *बाबा ने पूँछा* -पंडित जी क्या बात है?आप बार-बार क्या गिन रहे है .*पंडित जी ने कहा – *क्या बताये, नंदबाबाजी, केवल आज ही का मुहूर्त निकल रहा है इसके बाद तो एक वर्ष तक कोई मुहूर्त है ही नहीं. बा...

!!ग्वालवंश!!

!! श्री कृष्ण चंद्रवंशी ग्वाला समाज !! वैदिक क्षत्रिय है जय श्री कृष्ण !!चंद्र वंश!!की अति पवित्र शाखा है "ग्वालवंश" जिसका प्रतिनिधित्व नंदबाबा करते थे नंदबाबा और भगवान कृष्ण के पिता वासुदेव दोनों भाई थे जिन्हें हरिवंश पुराण में स्पष्ट किया गया है इस बात का जिक्र भागवत पुराण में भी है  !!ग्वाल वंश!! में ही कुल देवी मां विंध्यवासिनी देवी योग माया ने जन्म लिया है भागवत पुराण के अनुसार  भगवान श्री कृष्ण के गोकुल प्रवास के दौरान सभी देवी-देवताओं ने ग्वाल वंश में जन्म लिया।। !!भगवान श्री कृष्ण अपने पूरे जीवन ग्वाला बनकर ही रहे है!! जन्मे हो ग्वाल वंश में ग्वाला होने का अभिमान करो !! बेटे हो जिस ग्वाले के उसकी पगड़ी साफे का सम्मान करो !!

जय ग्वाल जय गोपाल

भगवान श्री श्रीकृष्ण के हाथ में सदैव सोभायमान रहने वाली तथा मथुरावासियों के दिल को जितने वाली बासुरी.....🌸 द्वापरयुग के समय जब *भगवान श्री कृष्ण* ने धरती में जन्म लिया तब देवी-देवता वेश बदलकर समय-समय में उनसे मिलने धरती पर आने लगे. इस दौड़ में  भगवान शिवजी कहा पीछे रहने वाले थे अपने प्रिय भगवान से मिलने के लिए वह भी धरती में आने के लिए उत्सुक हुए. परन्तु वह यह सोच कर कुछ क्षण के लिए रुके की यदि वे *श्री कृष्ण* से मिलने जा रहे तो उन्हें कुछ गिफ्ट भी अपने साथ ले जाना चाहिए . अब वे यह सोच कर परेशान होने लगे की ऐसा कौन सा गिफ्ट ले जाना चाहिए जो *भगवान श्री कृष्ण* को प्रिय भी लगे और वह हमेसा उनके साथ रहे तभी महादेव शिव को याद आया की उनके पास एक ऋषि दधीचि की महाशक्तिशाली हड्डी पड़ी है. ऋषि दधीचि वही महान ऋषि है जिन्होंने धर्म के लिए अपने शरीर को त्याग दिया था व अपनी शक्तिशाली शरीर की सभी हड्डिया दान कर दी थी. उन हड्डियों की सहायता से विश्कर्मा ने तीन धनुष पिनाक, गाण्डीव, शारंग तथा इंद्र के लिए व्रज का निर्माण किया था *महादेव शिवजी​* ने उस हड्डी को घिसकर एक सुन्दर एवम मनोहर बासुरी का...

ग्वालवंश

क्षत्रियों का प्रधान वंश यादव वंश है...यादव-कुल की एक अति-पवित्र शाखा ग्वालवंश है जिसका प्रतिनिधित्व नन्द बाबा करते थे .. बहुत से अज्ञानी दोनों को अलग -अलग वंश का बताते हैं....मूर्खों को ये मालूम नहीं की नन्द बाबा और कृष्ण के पिता वासुदेव रिश्ते में भाई थे जिसे हरिवंश पुराण में पूर्णतः स्पष्ट किया गया है....भागवत पुराण में भी इस बात का जिक्र है.....ग्वालवंश में ही समस्त यादवों की कुल-देवी माँ विंध्यवासिनी देवी ने जन्म लिया था..भागवत पुराण के अनुसार तो भगवान् श्रीकृष्ण के गोकुल प्रवास के दौरान सभी देवी-देवताओं ने ग्वालों के रूप में अंशावतार लिया था...इसीलिए ग्वालवंश को अति-पवित्र माना जाता है. कुछ महामूर्ख यादव और अहीर को भी अलग बताते है..अहि का अर्थ संस्कृत में सर्प होता है और अहीर का मतलब सर्प दमन होता है...ऋग वेद में राजा यदु का वर्णन है..इसीलिए उनके वंशज यादव-वैदिक क्षत्रिय है...ऋग वेद में महाराज यदु को वन में एक सांप को मारने की वजह से 'अहीर' की संज्ञा दी गयी है..बाद में कालिया नाग के दमन के पश्चात् श्रीकृष्ण को भी अहीर कहा गया . जय श्री कृष्ण जय ग्वाल जय गोपाल